1. कन्या विवाह विकास सोसाइटी: सोसाइटी एक्ट धारा 21/1860 अधिनियम के अंतर्गत रजिस्टर्ड एक ऐसी संस्था है, जो कन्याओं से संबंधित समस्याओं पर कार्य करती है। चूँकि कन्याएँ हमारे समाज का अभिन्न अंग हैं और उनकी उपेक्षा करके हम एक सभ्य एवं विकसित समाज की कल्पना भी नहीं कर सकते। हम अपने आप को एक सभ्य मानव की संज्ञा देते हैं और एक सभ्य समाज की चाहत रखते हैं। लेकिन जब तक कन्याएँ पुरुषों की तरह निर्णय लेने में और शिक्षा के क्षेत्र में बराबर नहीं आ जातीं, तब तक एक विकसित समाज का सपना एक कल्पना मात्र ही रह जाएगा।
2. आज जितने भी देश विकसित कहलाते हैं, वहाँ की कन्याएँ वहाँ के समाज की निर्णयकर्ता हैं, लेकिन हमारे भारत में और खासकर हमारे बिहार में कन्याओं के साथ आज भी भेदभाव किया जाता है। जीवन के प्रत्येक कदम पर उनका शोषण होता है और समाज द्वारा उनके मार्ग में बाधाएँ डाली जाती हैं। हम चाहते हैं कि अपनी कन्याओं को सुदृढ़ बनाएं, लेकिन समाज की कई कुरीतियाँ हमें अपने मकसद से रोकती हैं और जिनका मूल्य हमारी बेटियों को चुकाना पड़ता है।
3. उनके हर कदम पर एक बैरियर लगा होता है, जिससे सामंजस्य करते-करते वे थक जाती हैं, टूट जाती हैं, और इसका प्रत्यक्ष प्रभाव हमारे समाज पर पड़ता है। लेकिन हम अभिभावक ही हैं, दूसरा कोई नहीं। उनका शोषण और बंधन सबसे पहले हमारे घर से शुरू होता है और उनके ससुराल तक चला जाता है। जब तक हम नहीं चाहेंगे और उन्हें पुरुषों की बराबरी में नहीं लाएंगे, उन्हें अपना बोझ समझेंगे, शारीरिक और मानसिक रूप से सुदृढ़ नहीं बनाएंगे, तब तक इस समस्या का समाधान संभव नहीं है। तब तक हमारी बेटियों की वही स्थिति रहेगी जो आज है। कई सरकारी एवं गैरसरकारी संस्थाएं और संगठन इन समस्याओं पर कार्य कर रहे हैं, लेकिन आज तक हम अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाए हैं। इसका एक मूलभूत कारण है कि हम इस विषय पर सोचते हैं, कहते हैं, लेकिन करते नहीं हैं।
4. सभाओं और शिविरों में हम बालिका सशक्तिकरण की खूब चर्चा करते हैं, खूब बखान करते हैं, खूब तालियाँ बजाते हैं, लेकिन अपने घर जाकर उन्हें भूल जाते हैं। अगर हम इस समस्या को समाप्त कर लें तो हम समझते हैं कि हमारे देश, हमारे राज्य, हमारे समाज एवं हमारे घरों की कई समस्याएँ स्वतः ही समाप्त हो जाएँगी।
5. अगर हम इस समस्या को समाप्त कर लें तो बेटी के ससुराल जाते समय हमें किसी तरह की आशंका नहीं रहेगी। जैसे हमें अपने बेटे पर भरोसा होता है, उसी तरह बेटियों पर भी भरोसा रहेगा कि मुसीबत के समय वे आने वाले जीवन की कठिनाइयों एवं समस्याओं का डटकर सामना करेंगी। लेकिन हमें उन्हें बेटे की तरह ही मजबूत करना होगा। सभी समस्याओं के समाधान हेतु कन्या विवाह - विकास सोसाइटी का गठन किया गया है।